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लेखनी प्रतियोगिता -17-Dec-2022- कृपा

छोटी सी लड़की, खड़ी थी इक अजनबी दहलीज़ पर,

टुकुर टुकुर निहारती, नज़र थी, दीवार पर सजी तसवीर पर।

कोई तो चेहरा जाना पहचाना सा दिख जाए, 
जो पेट में लगी आग बुझा पाए।।

अभी कुछ पल पहले ही सब कुछ तो था उसके पास भी,
ना जाने कहां से आए वो राक्षस, निगल गए उसके परिवार को ही।

अजनबी भीड़ में कोई तो ऐसा मिल जाए,
उठाए उसको और सीने से लगाए।

'कान्हा', तुम ही अपनी कृपा बरसा दो,
बरसती नन्हीं अखियों से किसी का दिल पिघला दो।

रसम तुझसे है फरियाद लगाए,
दे दो वरदान उसे, उसकी जिंदगी भी संवर जाए।।

                   जय श्री कृष्णा

                *****Samridhi Gupta 'रसम'*****


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4 Comments

Punam verma

18-Dec-2022 09:46 AM

Very nice

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Abhinav ji

18-Dec-2022 09:11 AM

Very nice👍

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Renu

18-Dec-2022 06:20 AM

👍🌺

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